कालसर्प दोष के अनेकों लक्षण हैं सामान्य यह लक्षण कुछ इस प्रकार के हैं :-
- अगर आपकी कुंडली में कालसर्प योग होता है तो जातक कितनी भी मेहनत कर ले उसको मेहनत की सफलता नहीं मिलता है।
- कारोबार अच्छा नहीं होता है , व्यवधान उत्पन्न होते हैं, सौदे टूटने लगते हैं तथा कारोबार में नुकसान होती है।
- बार-बार कोई ना कोई दिक्कत का सामना उसे करना पड़ता है।
- जिंदगी में कोई ना कोई बुराई या काला धब्बा एक बार अवश्य लगता है।
- उस इंसान को संतान प्राप्ति की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
- विवाह में भी काफी दिक्कतें आती हैं ,यदि विवाह में देरी होता है तो यह भी कालसर्प दोष का लक्षण ही है।
- वैवाहिक जीवन में अनेकों परेशानियां का आ जाना जिस कारण से वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो जाता है और तलाक तक की नोबत आ जाती है।
- वह आदमी हमेशा कोई न कोई बीमारियों से घिरा रहता है और रोग बार-बार लगा रहता है।
- यदि कुंडली में कालसर्प योग है तो किसी व्यक्ति को मृत्यु होने के सपने अधिक आते हैं। अक्सर घर के व्यक्तियों के मृत्यु के सपने आते हैं।
- सोते समय ऐसा अनुभव होता है जैसा कोई उसे मारने की कोशिश कर रहा हे । उसे सपने में नदी, पानी ,तालाब, समुद्र आदि दिखाई देते हैं।
- कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है।
- कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति, बीमारी में या किसी भी परेशानी में अपने आप को अकेला महसूस करता है।
- पीड़ित व्यक्ति को रात को सोते समय साँपो के सपने आते हैं और अपने शरीर पर सांप लिपटे हुए दिखाई देने लगते हैं।
- हमेशा घबराहट और मानसिक तनाव महसूस होती है और वह हमेशा बेचैन रहता है। अकेलेपन एवं सुनसान स्थान पर जाने में उसे डर लगता है।
- पढाई लिखाई में रुकावट होना या पढ़ाई में मन ना लगना , पढ़ाई बीच में ही छूट जाना। किसी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक, और शारीरिक बाधा उत्पन्न होने के कारण में पढाई लिखाई में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
- बाल्यावस्था में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो जाती है , दुर्घटना होने लगती है , चोट का बार बार लग जाना बीमारियां होने लगती हैं यह भी कालसर्प दोष का एक लक्षण है।
- कालसर्प योग दोष की पूजा यदि त्रंबकेश्वर मंदिर में की जाए तो वह सर्वोत्तम है। कालसर्प दोष शांति पूजन कुछ विशेष तारीके में किया जाता है। इसके लिए आप त्रंबकेश्वर मंदिर में पंडित जी से विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं।
- आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें तथा राहु एवं केतु के मंत्रों का रोज 108 जाप करें।
- राहु के मंत्र– ।।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।।
- केतु के मंत्र– ।।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।।
- कालसर्प योग हो तो इस दोष की पूजा सोमवार के दिन या सोमवती अमावस्या को की जाती है यह दिन शुभ माना गया है। शीतकाल में सर्प योग यंत्र के आगे सरसों का दीपक जलाकर ओम नमः शिवाय मंत्र का 21 हजार बार जाप करें। इससे कालसर्प दोष के प्रभाव में कमी आती है।
- रोज भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें तथाओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रोज शिवलिंग पर जल चढ़ाएं,भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें तथा सोलह सोमवार को व्रत करें
- नाग पंचमी को नागों की पूजा अर्चना करें।
- श्रावण मास में 30 दिनों तक भगवान महादेव का जलाभिषेक करें।भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाए, दूध का अभिषेक करें। सोने चांदी के या तांबे के बने हुए नाग नागिन का जोड़ा बना कर तांबे के छोटे से लोटे में रखकर दूध से स्नान कराएं। तत्पश्चात इन्हें भगवान शिव को अर्पित कर दें।
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